Monday, 8 May 2017

कविता : पहाड़ ऐ जाया

जेठ-बैशाख दाज्यू पहाड़ ऐ जाया
हिसालु, किलमोड़ा, काफल खै जाया।

मिठ-मिठ काफल् कि भल लागैला
खट-मिठ किलमोड़ा कि निक लागौल्
रसिल् हिसालु टाप-टिप खै जाला।

जेठ-बैशाख दाज्यू पहाड़ ऐ जाया
हिसालु, किलमोड़ा, काफले खै जाया।

नौल क ठंडो-मीठो पाणि पी जाला
बांजा बोटा मूड़ी स्योव भै जाला
बखड़ भैंसकि धिनाली खै जाला।

जेठ-बैशाख दाज्यू पहाड़ ऐ जाया
हिसालु, किलमोड़ा, काफल खै जाया।

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