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इंडियन कुक्कू (काफल पाक्को) |
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काफल |
अरे ये क्या! काफल पाक्को की आवाज ने तो मुझे गांव पहुंचा दिया। बचपन याद दिला दिया। कई सालों बाद मैंने हल्द्वानी में काफल पाक्को की आवाज सुनी थी। एकाएक सुनकर विश्वास नहीं हुआ। गाड़ियों के शोर के बीच शहरी आवोहना में काफल पाक्को की आवाज सुनकर जहां मैं अचंभित था, वहीं एक संतोष भी मुझे मिला। लगा आवाज मुझे गांव बुला रही है और कह रही है कि आ फिर लौटे सुनहरे बचपन की तरफ। वो पेड़ और काफल से भरी जेबें..
काफल पाक्को एक पहाडी भसा है ।।
ReplyDeleteपहाड़ी भाषा कैसे मैं नहीं समझा.. मैंने तो इसे चिड़ियां की आवाज के रूप में समझा है। बुजुर्गों को कहते सुना है कि यह चिड़ियां हमें काफल के पकने की सूचना देती है...
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