Monday, 17 July 2017

जागेश्वर : महामृत्युंजय रूप में पूजे जाते हैं भगवान शिव


जागेश्वर धाम का मनोहारी दृश्य।
दर्शन श्री महामृत्युंजय।
अल्मोड़ा जिले में जागेश्वर धाम और द्वाराहाट में महामृत्युंजय मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। कत्यूरी वंश में निर्मित जागेश्वर धाम के महामृत्युंजय मंदिर का वर्णन शिवपुराण, स्कंदपुराण, लिंगपुराण आदि ग्रंथों में मिलता है।
नागर शैली में निर्मित जागेश्वर के महामृत्युंजय मंदिर में श्रद्धालु अकाल मृत्यु को टालने और दीर्घायु के लिए महामृत्युंजय पाठ और यज्ञ करते हैं। मान्यता है कि महामृत्युंजय मंदिर में पूजा से मनुष्य के दैहिक, दैविक और भौतिक दु:ख दूर होते हैं। अल्प मृत्यु, काल सर्प दोष निवारण, रोग-शोक और शत्रु भय से बचने के लिए श्रद्धालु पूरे वर्ष यहां पूजा-अर्चना को आते हैं। जागेश्वर के महामृत्युंजय मंदिर को जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने यहां आकर मंदिर की मान्यता को पुनस्र्थापित किया था।
वहीं, द्वाराहाट का मृत्युंजय मंदिर नागर शिखर शैली में निर्मित है। पूर्वाभिमुखी यह मंदिर त्रिरथ योजना से बनाया गया है। पुरातत्व विभाग इस मंदिर को 11वीं से 12वीं शताब्दी का मानता है। लोक मान्यता के अनुसार मृत्यु से भयभीत मनुष्य को अभयदान प्रदान करने वाले भगवान शिव भक्तों की सच्चे मन से मांगी मुराद पूरी करते हैं। 

श्रावण में लगता है आस्था को मेला

जागेश्वर धाम में श्रावणी मेले का दृश्य।
जागेश्वर धाम में श्रावण में पूरे महीने मेला लगता है। श्रावण के सोमवार को यहां पाव धरने की जगह नहीं मिलती। जागेश्वर महामृत्युंजय मंदिर में श्रावण मास की चतुर्दशी और महाशिवरात्रि को की गई पूजा का विशेष महत्व माना गया है। महाशिवरात्रि और श्रावण चतुर्दशी को महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए दीपक अनुष्ठान का कठिन संकल्प लेती हैं। महिलाएं पूरी रात दीपक हाथ में लेकर तपस्या करती हैं।








1 comment:

  1. धन्यवाद, मुझे यह जानकारी बहुत उपयोगी लगी। मेरा यह लेख भी पढ़ें जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड

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