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जागेश्वर धाम का मनोहारी दृश्य। |
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दर्शन श्री महामृत्युंजय। |
नागर शैली में निर्मित जागेश्वर के महामृत्युंजय मंदिर में श्रद्धालु अकाल मृत्यु को टालने और दीर्घायु के लिए महामृत्युंजय पाठ और यज्ञ करते हैं। मान्यता है कि महामृत्युंजय मंदिर में पूजा से मनुष्य के दैहिक, दैविक और भौतिक दु:ख दूर होते हैं। अल्प मृत्यु, काल सर्प दोष निवारण, रोग-शोक और शत्रु भय से बचने के लिए श्रद्धालु पूरे वर्ष यहां पूजा-अर्चना को आते हैं। जागेश्वर के महामृत्युंजय मंदिर को जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने यहां आकर मंदिर की मान्यता को पुनस्र्थापित किया था।
वहीं, द्वाराहाट का मृत्युंजय मंदिर नागर शिखर शैली में निर्मित है। पूर्वाभिमुखी यह मंदिर त्रिरथ योजना से बनाया गया है। पुरातत्व विभाग इस मंदिर को 11वीं से 12वीं शताब्दी का मानता है। लोक मान्यता के अनुसार मृत्यु से भयभीत मनुष्य को अभयदान प्रदान करने वाले भगवान शिव भक्तों की सच्चे मन से मांगी मुराद पूरी करते हैं।
श्रावण में लगता है आस्था को मेला
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जागेश्वर धाम में श्रावणी मेले का दृश्य। |
धन्यवाद, मुझे यह जानकारी बहुत उपयोगी लगी। मेरा यह लेख भी पढ़ें जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड
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