Sunday, 10 March 2019

ऐसे भी शिक्षक, जिन्होंने खुद के प्रयासों से बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

शिक्षक भाष्कर जोशी।

सुबह देरी से स्कूल पहुंचने व शाम को घर लौटने की जल्दी में रहने वाले कर्मचारियों के लिए शिक्षक भाष्कर जोशी मिसाल बनकर उभरे हैं। अल्मोड़ा जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला में कार्यरत जोशी ने बच्चों की पढ़ाई की खातिर गांव में डेरा डाल लिया।

मूलरूप से सोमेश्वर के रहने वाले जोशी ने अगस्त 2013 में बजेला स्कूल में कार्यभार संभाला। अल्मोड़ा से 55 किमी दूर बजेला स्कूल तक पहुंचने के लिए छह किमी पैदल चलना होता है। इसे देखते हुए जोशी स्कूल के पास किराए के कमरे में रहने लगे। तब विद्यालय में दस बच्चे थे। जोशी ने रचनात्मक गतिविधियों व नवाचारी प्रयोग से बच्चों में रुचि जगाई। नतीजतन अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूल में पढऩे वाले बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला करा दिया। आज विद्यालय में 24 बच्चे पढ़ते हैं।


प्रावि बजेला के बच्चों ने ऐसे मॉडल तैयार किए हैं कि कान्वेंट
 स्कूलों के बच्चे भी देखते रहे जाएं।
शनिवार को होती हैं नवाचार गतिविधि
विद्यालय में शनिवार को आर्ट-क्राफ्ट, फ्रेब्रिक पेंटिंग, चित्रकला, कविता, कहानी लेखन में बीतता है। बच्चे कॉमिक्स तैयार करते हैं। बजेला जागरण नाम से निकलने वाली मासिक पत्रिका में क्षेत्रीय समाचारों व बच्चों की एक्टिविटी प्रकाशित होती है।

अंग्रेजी में नाटक प्रस्तुत करते हैं बच्चे 
अंग्रेजी के नाम से भय खाने वाले बच्चे आज इंग्लिश में नाटक का मंचन करते हैं। इंग्लिश बोलने का धारा प्रवाह ऐसा कि अंग्रेजी मीडियम स्कूल के बच्चे पीछे छूट जाए। बच्चों के बनाए मॉडल देखने लायक होते हैं। शिक्षक ने अपने खर्च से विद्यालय में प्रोजेक्टर लगाया है। पांच साल में विद्यालय की तस्वीर बदल गई। स्वयंसेवी संस्थाएं स्कूल से जुडऩे लगी हैं।



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