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हिमांशु पंत |
गणेश पांडे, हल्द्वानी : रोजगार की तलाश में अपनी माटी छोडऩे वाले युवाओं के लिए सीमांत पिथौरागढ़ जिले के 33 वर्षीय हिमांशु पंत ने मिसाल कायम की है। बेरीनाग तहसील के बजेत (कालाशिला) गांव निवासी हिमांशु ने रोजगार की तलाश में शहरों की खाक छानने के बजाय अपने गांव में इंको फ्रेंडली बैग तैयार करने का प्लांट लगाया है। हिमांशु ने अपने प्लांट को ग्रीन हिमालय इको फ्रेंडली बैग नाम किया है। स्थापना के पांच माह में ही यह प्लांट आसपास के गांवों के आठ युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहा है। हिमांशु को उम्मीद है अगले छह माह में वह 25 से 30 युवाओं को अपने प्लांट से जोड़ चुके होंगे। हिमांशु की पहल ने रोजीरोटी के खातिर शहर पलायन कर गए युवाओं को रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीद भी जगाई है।
ऐसे आया आइडिया
बीएड और अकाउंट की पढ़ाई करने वाले हिमांशु दस साल तक एक शहर से दूसरे शहर भटकते रहे। कभी टीचिंग की तो कभी सीए के साथ काम किया। फैक्ट्री में भी हाथ आजमाया। हिमांशु बताते हैं पांच साल पहले से हल्द्वानी में एलआइसी के मार्केटिंग विभाग में काम करता था। विचार आया कि दूसरे की योजनाओं का प्रचार करने के बजाय अपना काम किया जाए। एक दोस्त ने इको फ्रेंडली बैग तैयार करने के प्लांट का प्रोजेक्ट दिखाया तो इस पर काम करने का मन बना लिया।
परिवार ने दिया हौसला
हिमांशु बताते हैं प्लांट लगाने से पहले मन में सवाल था कि काम चलेगा कि नहीं। पिता और छोटे भाइयों ने प्रोत्साहित किया। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत आवेदन करने पर 25 लाख का लोन स्वीकृत हो गया। करीब इतनी ही राशि पिता नारायण पंत के (अस्पताल से सुपरवाइजर पद से) रिटायर्ड होने पर मिली रकम से मिलाकर जनवरी में प्लांट व प्रिंटिंग मशीन लगा लिया। हिमांशु का एक भाई सीए के साथ काम करता है, दूसरा एयरफोर्स में कार्यरत है।
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बेरीनाग स्थित प्लांट में इको फ्रेंडली बैग तैयार करते युवा। |
हल्द्वानी तक से आ रही डिमांड
पांच माह पहले महज दस दुकानों से शुरू हुआ काम आज शहरों तक पहुंच गया है। हिमांशु बताते है पहले बेरीनाग बाजार से ही डिमांड आती थी। अब पिथौरागढ़, बागेश्वर, गरुड़, अल्मोड़ा, चंपावत के साथ हल्द्वानी से भी बैग की डिमांड आ रही है। प्लांट में डी-कट, यू-कट बैग के साथ शॉपिंग में प्रयोग होने वाले लूप (फीते) वाले बैग भी तैयार होते हैं।
छह से 15 हजार देते हैं वेतन
प्लांट में काम करने वाले युवाओं को छह हजार से 16 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता है। आपरेटर को छोड़ शेष आठ युवक स्थानीय हैं। कम वेतन वाले युवाओं से पार्ट टाइम काम किया जाता है।